♂️ आचार्य प्रशांत से मिलना चाहते हैं?<br />लाइव सत्रों का हिस्सा बनें: https://acharyaprashant.org/hi/enquir...<br /><br /> आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?<br />फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?...<br /><br />➖➖➖➖➖➖<br /><br />वीडियो जानकारी: 25.08.24 , वेदांत संहिता , ग्रेटर नॉएडा <br /><br />प्रसंग: <br />~ भोग करने से हमारा नुकसान कैसे होता है?<br />~ हमारी भोग की इच्छा समय के साथ बढ़ती क्यों जाती है?<br />~ जवानी की आशा बुढ़ापे की चिड़चिड़ाहट कैसे बन जाती है?<br />~ अनुभवों से कैसे सीखें?<br />~ सही काम के समय नींद बहुत आती है, क्या करूँ?<br /><br /><br />अजीर्यताममृतानामुपेत्य जीर्यन्मर्त्यः क्वधःस्थः प्रजानन् ।<br />अभिध्यायन्वर्णरतिप्रमोदानतिदीर्घ जीविते को रमेत ॥ <br /><br />हे यमराज! जो यह समझता है कि नष्ट होना और मरना तय है और अगर उसे ऐसे ज्ञानियों की संगत मिल रही हो जो बुढ़ापे और मृत्यु से अछूते हैं तो फिर वह स्त्रियों की कामना में लगे रहते हुए अधिक समय तक जीवित रहने में क्यों उत्सुक होगा?<br />~ कठोपनिषद - 1.1.28<br /><br /><br />माया मुई न मन मुवा, मर-मर गया शरीर।<br />आशा तृष्णा न मुई, कह गए संत कबीर ॥<br />~ संत कबीर<br /><br /><br />भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्ताः तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः । <br />कालो न यातो वयमेव याताः तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः ॥ <br />~ वैराग्यशतकम्, ऋषि भर्तृहरि<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते<br />~~~~~~~~~~~